shayari
Saturday, 2 January 2016
नामो नसब ज़मीन के नस्लों में बट गए ,
आदम के बेटे कितने कबीलों में बट गए।
आये है जबसे पेशे इमामत के मस'अले ,
शिजरे हमारे कितने मरहलो में बट गए ।
दे किस तरह से क़ौम को इल्ज़ामें गुमराही .
जब रहनुमा ही कौम के फिरको में बट गए
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